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Tanha raah ka raahi

ये सरासर ग़लती की है,
जो आपने रौशनी की है।

लगाके दिल तुझसे सबने,
मेरी तरहा शायरी की है।

आबशार की हयात तुमने,
तुमने फिर तिश्नगी की है।

हौले से मुस्कुराकर आपने,
गुलों से फिर दुश्मनी की है।

आपने सोचा मुझको फिरसे,
इस बात ने मुझे गुदगुदी की है।

किसने आसमाँ को पानी दिया,
किसने बहारे शबनमी की है।

किसने निकाला सूरज फिरसे,
रात किसने सुरमई की है।

अपना यकी सुख़न में कहके,
'तनहा' आपने मुक़र्रमी की है।

Tariq Azeem Tanha

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8 Comments

Fareha Sameen

20-May-2022 08:48 PM

Nice

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Reyaan

20-May-2022 02:39 PM

👏👌

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Seema Priyadarshini sahay

19-May-2022 04:48 PM

बहुत खूबसूरत

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